कभी आपने साहित्यकारों की हड़ताल सुनी है ,शायद न सुनी हो क्यूंकि कभी की ही नहीं --सोचिये एक साहित्यकार कहे कि मै बात न मानने के लिए अपनी साहित्य रचनाये नहीं लिखूंगा क्यूंकि समाज मेरे दर्द को समझ नहीं पा रहा है और अब मै समाज के पृष्ठों पर लिखूंगा
कुछ सैकड़ो साहित्यकार मिलकर कहे कि यदि समाचार पत्रों /पत्रिकाओं में बेहूदा भाषा ,विज्ञापन या अन्य सामजिक रूप से आपत्ति जनक सामग्री छापी गयी तो वो लेखन नहीं करेंगे --एक धमकी के रूप में
मेरी जानकारी में ऐसी कोई हड़ताल या अनशन नहीं आया है -
इसी प्रकार ----संगीत ,कला के क्षेत्र में
कल सम्मानित की गयी संगीतज्ञ ऊषाश्रीवास्तव जी ने बताया कि वो ऐसा ही करती है अपने प्रतिष्ठान में -
कुछ सैकड़ो साहित्यकार मिलकर कहे कि यदि समाचार पत्रों /पत्रिकाओं में बेहूदा भाषा ,विज्ञापन या अन्य सामजिक रूप से आपत्ति जनक सामग्री छापी गयी तो वो लेखन नहीं करेंगे --एक धमकी के रूप में
मेरी जानकारी में ऐसी कोई हड़ताल या अनशन नहीं आया है -
इसी प्रकार ----संगीत ,कला के क्षेत्र में
कल सम्मानित की गयी संगीतज्ञ ऊषाश्रीवास्तव जी ने बताया कि वो ऐसा ही करती है अपने प्रतिष्ठान में -
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आपका स्वागत है , जो आपने अपना बहुमूल्य समय देकर मेरे लेखन को पढ़ा और सुझाव, प्रतिक्रिया एवं आशीर्वाद दिया । आपका ह्रदय से आभार एवं मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए साधुवाद। पुनः आगमन की प्रतीक्षा में ।