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Thursday, 18 July 2013

बोझ

मै समाज पर बोझ न बन सकू यही कोशिश करते रहते है पर कभी कभी समाज भी बोझ बन जाता है इसलिए रुकना पड़ता है lकही आप समाज पर बोझ तो नहीं --------जब मैंने एक महिला को खुद को साहित्यकार कहते देखा और उनका कृत्य --सचमुच इस शब्द से भी घबराहट होने लगी -----------conti 

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आपका स्वागत है , जो आपने अपना बहुमूल्य समय देकर मेरे लेखन को पढ़ा और सुझाव, प्रतिक्रिया एवं आशीर्वाद दिया । आपका ह्रदय से आभार एवं मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए साधुवाद। पुनः आगमन की प्रतीक्षा में ।