एक दूसरे पर विश्वास ,एक दूसरे को समझने की इच्छाशक्ति ,ललक उत्सुकता -किसी भी सम्भव सम्बन्ध में संभव है या कहिये अपरिहार्य आवश्यक आवश्यकता है -चाहे वो ईश्वर को समझना हो या मनुष्य को
,प्रकृति हो या भौतिक संसाधन -भाई बहन हो या पति पत्नी ,सास बहु हो या मित्र -पर अब हम किसी भी सम्बन्ध को इतना टूटकर समर्पित होकर नहीं जीते है --उत्तराखण्ड में अलकनन्दा का क्रोध -इस का प्रमाण है । इसको हम अभी तो कष्ट ही मान रहे है ये हमारी सजा है --------------ईश्वर की परिभाषा न समझने की -वास्तव में उससे प्रेम न करने की --उसे दिखावा पसंद नही है --उसे भौतिक रूप से इतनी निकटता नहीं चाहिए वह आत्मिक आकर्षण चाहता है मानसिक सबलता चाहता है -------------कल ट्रेन में एक ऐसे दो युवा दिखे --जिनको देख कर न धर्म न जाति न प्रदेश और न ही उनके आपसी सम्बन्ध का अनुमान लगा सकते थे परन्तु वो दोनों एक दुसरे की परवाह कर रहे थे उनके विचार -एक थे शायद या अपनत्व ,मर्यादा और प्रति क्षण जीवंत करते दो -चेहरे जिनमे एक पुर्लिंग और एक स्त्री लिंग था लेकिन वो भाई बहन भी हो सकते थे -और मित्र भी -इतना सुंदर ,रुचिकर संयमित वार्तालाप -मैंने अपने जीवन में ऐसे पुरुषो के चेहरे और वाणी बहुत विरलो के ही देखे है जो संवेदनाओं में समान रूप से सहभागी हो सकते है ।
सह जीवन -यही तो है
,प्रकृति हो या भौतिक संसाधन -भाई बहन हो या पति पत्नी ,सास बहु हो या मित्र -पर अब हम किसी भी सम्बन्ध को इतना टूटकर समर्पित होकर नहीं जीते है --उत्तराखण्ड में अलकनन्दा का क्रोध -इस का प्रमाण है । इसको हम अभी तो कष्ट ही मान रहे है ये हमारी सजा है --------------ईश्वर की परिभाषा न समझने की -वास्तव में उससे प्रेम न करने की --उसे दिखावा पसंद नही है --उसे भौतिक रूप से इतनी निकटता नहीं चाहिए वह आत्मिक आकर्षण चाहता है मानसिक सबलता चाहता है -------------कल ट्रेन में एक ऐसे दो युवा दिखे --जिनको देख कर न धर्म न जाति न प्रदेश और न ही उनके आपसी सम्बन्ध का अनुमान लगा सकते थे परन्तु वो दोनों एक दुसरे की परवाह कर रहे थे उनके विचार -एक थे शायद या अपनत्व ,मर्यादा और प्रति क्षण जीवंत करते दो -चेहरे जिनमे एक पुर्लिंग और एक स्त्री लिंग था लेकिन वो भाई बहन भी हो सकते थे -और मित्र भी -इतना सुंदर ,रुचिकर संयमित वार्तालाप -मैंने अपने जीवन में ऐसे पुरुषो के चेहरे और वाणी बहुत विरलो के ही देखे है जो संवेदनाओं में समान रूप से सहभागी हो सकते है ।
सह जीवन -यही तो है
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आपका स्वागत है , जो आपने अपना बहुमूल्य समय देकर मेरे लेखन को पढ़ा और सुझाव, प्रतिक्रिया एवं आशीर्वाद दिया । आपका ह्रदय से आभार एवं मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए साधुवाद। पुनः आगमन की प्रतीक्षा में ।